YouTube देखने वाला इंडिया से सिर्फ 3 अरब के करीब इंडियन यूज़र्स है सिर्फ जो YouTube पे वीडियो देखता है। और 2 लाख से ज्यादा कॉन्टेंट क्रिएटर्स है। जो कंटेंट क्रिएट करता है YouTube पर। ये डाटा आप लोगों को पता होना चाहिए। अब YouTube , Google का है। और Google कहां का है? अमेरिका का। तो YouTube का जो कंपनी का जो मालिक है वो अमेरिका का है। भारत नहीं है। लेकिन अभी दोस्तों आप लोगों ने टाइटल देख ही लिया होगा कि इंडिया अब जो है खुद का YouTube जैसा एप्लीकेशन बनाने वाला है। अब इसके बारे में कैसे पता चला? दोस्तों आप सब को पता होगा कुछ दिन पहले हमारे जो प्रधानमंत्री हैं नरेंद्र मोदी जी उन्होंने एक स्पीच दिया था। आपको मेक इन इंडिया के संकल्प को आगे बढ़ाना है। आपको आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को आगे बढ़ाना है। तो उन्होंने दोस्तों स्पीच में यह कहा था हमारे भारत को आत्मनिर्भर भारत बनाना है। आत्मनिर्भर का मतलब क्या होता है? कि जिस पे हम किसी भी चीज पे किसी और देश के साथ डिपेंडेंट ना हो। हम खुद का मालिक खुद हो।
आज के डिजिटल युग में YouTube हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। भारत में करोड़ों लोग हर दिन YouTube पर वीडियो देखते हैं, सीखते हैं और मनोरंजन करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस प्लेटफॉर्म पर हम इतना समय बिताते हैं, वह वास्तव में भारत का नहीं है?

भारत में YouTube का उपयोग
भारत दुनिया का सबसे बड़ा इंटरनेट उपभोक्ता देश है। वर्तमान में करीब 3 अरब भारतीय यूज़र्स YouTube पर सक्रिय हैं, और 2 लाख से अधिक कंटेंट क्रिएटर्स इस प्लेटफॉर्म पर काम कर रहे हैं। यह आंकड़ा यह दिखाता है कि भारत YouTube के लिए कितना बड़ा मार्केट है।
लेकिन, यह भी एक सच्चाई है कि YouTube Google की कंपनी है, और Google एक अमेरिकी (USA) कंपनी है। यानी भारत के करोड़ों यूज़र्स और क्रिएटर्स एक विदेशी प्लेटफॉर्म पर निर्भर हैं।
⚙️ विदेशी प्लेटफॉर्म पर निर्भरता की समस्या
YouTube भारतीयों के लिए एक बहुत बड़ा अवसर है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं —
- YouTube के सभी नियम और नीतियाँ अमेरिका से तय होती हैं,
- भारतीय क्रिएटर्स को अक्सर अनुचित स्ट्राइक्स, AI-बेस्ड निर्णयों, और कठिन मोनेटाइजेशन नियमों (4000 घंटे वॉच टाइम और 1000 सब्सक्राइबर) का सामना करना पड़ता है।
- इन नीतियों में भारत की सरकार या यूज़र्स की कोई भूमिका नहीं होती।

🌱 आत्मनिर्भर भारत और Make in India की पहल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने “आत्मनिर्भर भारत” और “मेक इन इंडिया” का जो संकल्प लिया, उसका उद्देश्य यही है कि भारत अपने डिजिटल और तकनीकी संसाधनों में भी आत्मनिर्भर बने।
मोदी जी का कहना है कि “भारत में टैलेंट की कोई कमी नहीं है, तो हम खुद का WhatsApp, YouTube या Instagram क्यों नहीं बना सकते?”
उनके अनुसार, आत्मनिर्भरता का अर्थ सिर्फ वस्तुओं के उत्पादन से नहीं, बल्कि डिजिटल स्वतंत्रता से भी है
📺 प्रसार भारती की नई पहल — भारत का खुद का वीडियो प्लेटफॉर्म
भारत सरकार के अंतर्गत आने वाला सार्वजनिक प्रसारक प्रसार भारती (जिसमें दूरदर्शन और आकाशवाणी शामिल हैं) अब इस दिशा में काम कर रहा है।
प्रसार भारती के सीईओ ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया कि —
“हम भारत का अपना YouTube जैसा वीडियो शेयरिंग प्लेटफॉर्म लाने पर काम कर रहे हैं। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।”
प्रसार भारती, जो 1997 में स्थापित हुआ था, का उद्देश्य जनता को निष्पक्ष, संतुलित और विश्वसनीय जानकारी देना है। अब वही संस्था डिजिटल युग में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए आगे आ रही है।
💰 इसका आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
- आर्थिक लाभ:
अभी YouTube से जो अरबों रुपये भारत में आते हैं, वह एक विदेशी कंपनी के ज़रिए आते हैं।
अगर भारत का खुद का प्लेटफॉर्म बनेगा, तो वह पैसा सीधे भारतीय अर्थव्यवस्था में रहेगा, जिससे रोजगार और स्टार्टअप्स को भी फायदा होगा। - क्रिएटर्स के लिए अवसर:
भारतीय प्लेटफॉर्म भारतीय क्रिएटर्स की जरूरतों को बेहतर तरीके से समझेगा।
स्ट्राइक, सेंसरशिप या अनुचित पॉलिसीज़ जैसी समस्याएँ कम होंगी। - राष्ट्रीय डिजिटल स्वतंत्रता:
यह कदम भारत को तकनीकी रूप से स्वतंत्र बनाएगा और “डिजिटल उपनिवेशवाद” से मुक्ति दिलाएगा।
⚡ चुनौतियाँ और आगे का रास्ता
हालांकि यह कदम ऐतिहासिक है, लेकिन इसके सामने कई चुनौतियाँ हैं।
- YouTube के अरबों यूज़र्स हैं; नया भारतीय प्लेटफॉर्म शुरू तो हो सकता है, पर उसे लोगों की स्वीकृति मिलना कठिन होगा।
- जैसे PUBG के विकल्प के रूप में FAU-G लॉन्च हुआ, पर वह उतना सफल नहीं हो पाया — वैसा जोखिम यहां भी है।
इसलिए, सफलता जनता की भागीदारी पर निर्भर करेगी। अगर भारतीय यूज़र्स और क्रिएटर्स मिलकर अपने देश के प्लेटफॉर्म को अपनाएँ, तो यह सपना साकार हो सकता है।
अगर भारत का खुद का YouTube जैसा प्लेटफॉर्म बनता है, तो यह न केवल आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम होगा, बल्कि डिजिटल स्वतंत्रता, आर्थिक सशक्तिकरण, और राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक भी बनेगा।

